रामायण की 8 चौपाई कौन कौन सी है?
बिनु सत्संग विवेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥
सठ सुधरहिं सत्संगति पाई।
पारस परस कुघात सुहाई॥
अर्थ : सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और राम जी की कृपा के बिना वह सत्संग नहीं मिलता, सत्संगति आनंद और कल्याण की जड़ है। दुष्ट भी सत्संगति पाकर सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सुंदर सोना बन जाता है।
रामायण का सबसे सुन्दर भजन : जन जन के प्रिये राम लखन सिया वन को जाते हैं
जा पर कृपा राम की होई।
ता पर कृपा करहिं सब कोई॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया।
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥
अर्थ : जिन पर राम की कृपा होती है, उन्हें कोई सांसारिक दुःख छू तक नहीं सकता। परमात्मा जिस पर कृपा करते है उस पर तो सभी की कृपा अपने आप होने लगती है । और जिनके अंदर कपट, दम्भ (पाखंड) और माया नहीं होती, उन्हीं के हृदय में रघुपति बसते हैं अर्थात उन्हीं पर प्रभु की कृपा होती है।
कहेहु तात अस मोर प्रनामा।
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा॥
दीन दयाल बिरिदु संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी॥
अर्थ : हे तात ! मेरा प्रणाम और आपसे निवेदन है – हे प्रभु! यद्यपि आप सब प्रकार से पूर्ण काम हैं (आपको किसी प्रकार की कामना नहीं है), तथापि दीन-दुःखियों पर दया करना आपका विरद (प्रकृति) है, अतः हे नाथ ! आप मेरे भारी संकट को हर लीजिए (मेरे सारे कष्टों को दूर कीजिए)॥
रुला देने वाला रामायण भजन: हे राम अयोध्या छोड़ कर वन मत जाओ
हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥
अर्थ : हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते।
जासु नाम जपि सुनहु भवानी।
भव बंधन काटहिं नर ग्यानी॥
तासु दूत कि बंध तरु आवा।
प्रभु कारज लगि कपिहिं बँधावा॥
अर्थ : (शिवजी कहते हैं) हे भवानी सुनो – जिनका नाम जपकर ज्ञानी मनुष्य संसार रूपी जन्म-मरण के बंधन को काट डालते हैं, क्या उनका दूत किसी बंधन में बंध सकता है? लेकिन प्रभु के कार्य के लिए हनुमान जी ने स्वयं को शत्रु के हाथ से बंधवा लिया।
रविंद्र जैन जी का मनमोहक भजन: मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल
एहि महँ रघुपति नाम उदारा।
अति पावन पुरान श्रुति सारा॥
मंगल भवन अमंगल हारी।
उमा सहित जेहि जपत पुरारी॥
अर्थ : रामचरितमानस में श्री रघुनाथजी का नाम उदार है, जो अत्यन्त पवित्र है, वेद-पुराणों का सार है, मंगल (कल्याण) करने वाला और अमंगल को हरने वाला है, जिसे पार्वती जी सहित स्वयं भगवान शिव सदा जपा करते हैं।
होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
अस कहि लगे जपन हरिनामा।
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा॥
अर्थ : जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा। तर्क करके कौन शाखा (विस्तार) बढ़ावे। अर्थात इस विषय में तर्क करने से कोई लाभ नहीं। (मन में) ऐसा कहकर भगवान शिव हरि का नाम जपने लगे और सती वहाँ गईं जहाँ सुख के धाम प्रभु राम थे।
अति सुन्दर राम भजन: ओ माइयाँ तैने क्या ठानी मन में
करमनास जल सुरसरि परई,
तेहि काे कहहु सीस नहिं धरई।
उलटा नाम जपत जग जाना,
बालमीकि भये ब्रह्म समाना।।
अर्थ : कर्मनास का जल (अशुद्ध से अशुद्ध जल भी) यदि गंगा में पड़ जाए तो कहो उसे कौन नहीं सिर पर रखता है? अर्थात अशुद्ध जल भी गंगा के समान पवित्र हो जाता है। सारे संसार को विदित है की उल्टा नाम का जाप करके वाल्मीकि जी ब्रह्म के समान हो गए।
Which are the 8 chaupai of Ramayana?
Binu satsang vivek na hoee.
Ram kripa binu sulabh na soee.
Sat sudharahin satsangati pai.
Paras paras kughaat suhaee.
Meaning: Without the association of satsang (spiritual company), one cannot attain discernment (vivek). And without the grace of Lord Rama, that satsang cannot be attained. Satsang is the root of joy and well-being. Even the wicked are reformed by attaining satsang, just as iron turns into beautiful gold by the touch of the philosopher’s stone.
The most beautiful hymn of Ramayana: Jan Jan Ke Priye Ram Lakhan Siya Van Ko Jaate Hain
Ja par kripa Ram ki hoi.
Ta par kripa karahin sab koi.
Jinke kapat, dambh nahin maya.
Tinke hridaya basahu Raghuraya.
Meaning: Those who receive the grace of Lord Rama, no worldly sorrow can touch them. When the Supreme Soul bestows His grace upon someone, they automatically receive the kindness of all. And those who do not possess deceit, hypocrisy (pretense), and illusion (attachment to worldly desires), Lord Rama resides in their hearts, meaning they receive the grace of God.
Kahehu tat as mor pranama.
Sab prakar Prabhu purnakama.
Din dayal biridu sambhari.
Harahu nath mam sankat bhari.
Meaning: O Father! I offer my respects and humble prayers to you, O Lord! Although you are complete in every way and have no desires, it is your nature to show compassion to the poor and distressed. Therefore, O Master! Please alleviate my heavy burdens (remove all my difficulties).
Crying Ramayana Bhajan: Hey Ram Ayodhya Chhodh Ke Van Mat Jao
Hari anant Hari katha ananta.
Kahahin sunahin bahubidhi sab santa.
Ramchandra ke charit suhaaye.
Kalap koti lagi jahin na gaaye.
Meaning: Hari (God) is infinite (cannot be reached or comprehended) and His glory (stories) is also infinite. All saints and devotees describe and listen to it in various ways. Even in millions of eons, the beautiful deeds (character) of Lord Ram cannot be fully sung or expressed.
Jasu naam japi sunahu Bhavani.
Bhav bandhan kaatihin nar gyani.
Taasu doot ki bandh taru aava.
Prabhu kaaraj lagi kapihin bandhava.
Meaning: (Lord Shiva says) “Listen, Bhavani (Goddess Parvati), those who chant the name of the Lord and possess spiritual wisdom can break free from the cycle of birth and death, known as worldly existence. Can anyone bind their messenger (devotee) in worldly attachments? However, for the sake of Lord’s work, Hanuman willingly subjected himself to being bound by the enemy (Ravana).”
Ravindra Jain’s beautiful hymn: Mere Lakhan Dulare Bol Kachhu Bol
Ehi mahan Raghupati naam udaara.
Ati paavan puraan shruti saara.
Mangal bhavan amangal haari.
Uma sahit jehi japata Puraari.
Meaning: In the Ramcharitmanas, the name of Shri Raghunathji (Lord Ram) is magnanimous. It is extremely sacred, encompasses the essence of the Vedas and Puranas, brings auspiciousness (good fortune), and dispels inauspiciousness. Even Goddess Parvati and Lord Shiva themselves constantly chant this name.
Hoiihi soi jo Raam rachi raakha.
Ko kari tark badaavai saakha.
As kahi lage japan Harinaama.
Gaai Sati jahan Prabhu sukhadhaama.
Meaning: Whatever Lord Ram has ordained, that alone will prevail. What is the use of engaging in arguments and expanding branches of knowledge? In other words, there is no benefit in debating on this subject. Thinking this way, Lord Shiva began chanting the name of Lord Hari (Ram), and Sati went to the abode of happiness where Lord Ram resided.
Beautiful Ram Bhajan: O Maiyya Tene Kya Thaani Mann Mein
Karamanaas jal surasari parai,
Tehi ko kahahu sees nahin dharai.
Ulatā nām japata jaga jānā,
Bālmīki bhaye Brahma samānā.
Meaning: If impure water, even the dirtiest water, falls into the Ganges, who does not place it on their head? In other words, even impure water becomes as sacred as the Ganges. The whole world knows that by chanting the reverse name (referring to Valmiki, who was a former robber) one becomes equal to Brahman.
और भी मनमोहक भजन, आरती, मंत्र, वंदना, चालीसा, स्तुति :-
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Singer – Ankit Pathak