वो जो नंदी की करता सवारी,
मेरा भोला सा भोला भंडारी,
शीश पर जिसने गंगा उतारी,
वो जो नन्दी की करता सवारी,
मेरा भोला सा भोला भंडारी।।
जिसका कैलाश पर्वत है डेरा,
वो है हर हर महादेव मेरा,
है गले जिसके सर्पों की माला,
चन्द्रमा का है माथे उजाला,
जिसके चरणों में है दुनिया सारी,
मेरा भोला सा भोला भंडारी,
वो जो नन्दी की करता सवारी,
मेरा भोला सा भोला भंडारी।।
सारी दुनिया है जिसकी दीवानी,
उसकी महिमा ना जाए बखानी,
कोई शम्भू कहे कोई शंकर,
कोई कहता उसे औघड़ दानी,
जिसके चरणों के हम सब भिखारी,
मेरा भोला सा भोला भंडारी,
वो जो नन्दी की करता सवारी,
मेरा भोला सा भोला भंडारी।।
भूत चंडाल औघड़ है सेवक,
देवता भी है जिसके निवेदक,
दानव और दैत्य भी कांपते है,
नाम जिसका सभी जापते है,
है दशानन भी जैसे पुजारी,
मेरा भोला सा भोला भंडारी,
वो जो नन्दी की करता सवारी,
मेरा भोला सा भोला भंडारी।।
वो जो नंदी की करता सवारी,
मेरा भोला सा भोला भंडारी,
शीश पर जिसने गंगा उतारी,
वो जो नन्दी की करता सवारी,
मेरा भोला सा भोला भंडारी।।
स्वर – शहनाज़ अख्तर।