धुला लो पाँव राघव जी,
अगर जो पार जाना है,
पार करते हो सब जग को,
पार करते हो सब जग को,
नाव का तो बहाना है,
धुला लो पांव राघव जी,
अगर जो पार जाना है।।
तुम्हारे चरणों की धूलि,
सुना है जादू करती है,
जो छू जाए अगर पत्थर,
तो सुन्दर नारी बनती है,
तो सुन्दर नारी बनती है,
जो पत्थर नारी बन जाए,
काठ का क्या ठिकाना है,
धुला लो पांव राघव जी,
अगर जो पार जाना है।।
हमारी नाव ही परिवार का,
अंतिम सहारा है,
बिना इसके ओ राघव जी,
कहाँ मेरा गुजारा है,
कहाँ मेरा गुजारा है,
ये नैया जिंदगी मेरी,
ना कोई भी ठिकाना है,
धुला लो पांव राघव जी,
अगर जो पार जाना है।।
धुला लो पाँव राघव जी,
अगर जो पार जाना है,
पार करते हो सब जग को,
पार करते हो सब जग को,
नाव का तो बहाना है,
धुला लो पांव राघव जी,
अगर जो पार जाना है।।
गायक – कन्हैया जी।
तबला – रामध्यान गुप्ता जी।