मैंने जब से मेरे सांवरिया,
गुणगान तुम्हारा गाया है,
तब से जीवन के हर पथ पे,
मैंने साथ तुम्हारा पाया है,
ओ मेरे बाबा ओ मेरे बाबा,
मेरे बाबा मेरे बाबा,
मैंने जब से मेरे साँवरिया,
गुणगान तुम्हारा गाया है।।
तर्ज – मेरा दिल भी कितना।
& मैं जहाँ रहूँ।
कभी अंधेरो में बाबा,
मेरा मन जब घबराता है,
बनके रोशनी तू ही तो,
राहो में बिखर जाता है,
तेरे बिना मुझको बाबा,
ये सुख भी नहीं भाता है,
तू संग है तो गम में भी,
मेरा दिल ये मुस्काता है,
विराने जीवन में शहनाई बजती है,
कांटो सी राहें भी फूलों सी लगती है,
गर तू साथ है,
गर तू साथ है,
गर तू साथ है,
गर तू साथ है।।
फ़िक्र क्यों करूँ,
क्यों किसी से डरुँ,
गर तू साथ है।।
जो कुछ भी मुझ में प्यारा है,
बाबा वो असर तुम्हारा है,
सब तेरी कृपा सब तेरी मेहर,
‘सोनू’ जो कुछ बन पाया है,
मैंने जब से मेरे सांवरिया,
गुणगान तुम्हारा गाया है,
तब से जीवन के हर पथ पे,
मैंने साथ तुम्हारा पाया है,
ओ मेरे बाबा ओ मेरे बाबा,
मेरे बाबा मेरे बाबा,
मैंने जब से मेरे साँवरिया,
गुणगान तुम्हारा गाया है।।
फ़िक्र क्यों करूँ,
क्यों किसी से डरुँ,
गर तू साथ है,
विराने जीवन में शहनाई बजती है,
कांटो सी राहें भी फूलों सी लगती है,
गर तू साथ है,
गर तू साथ है,
गर तू साथ है,
गर तू साथ है।।
स्वर – शीतल पांडेय जी।
https://youtu.be/0EKO2c54Awo