बंसी बजाय गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के,
दिल मई समाय गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के,
बंसी बजाए गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के।।
मथुरा से वृंदावन आयो,
निर्दयी छलिया चैन चुरायो,
निंदिया उड़ाय गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के,
बंसी बजाए गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के।।
जादु कर गई उसकी ये अखियाँ,
रस्ता रोका मोरी पकड़ी बहिया,
मटकी गिराय गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के,
बंसी बजाए गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के।।
लूटा मोर मुकुट की छटा ने,
उनके शोकि इंद्र घटा ने
तीर चलाए गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के,
बंसी बजाए गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के।।
श्याम नाम की ओढ़ी चुनरिया,
श्याम की चूड़ी श्याम की बिंदिया,
रास रचाए गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के,
बंसी बजाए गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के।।
बंसी बजाय गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के,
दिल मई समाय गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के,
बंसी बजाए गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के।।
स्वर – श्री मृदुल कृष्ण जी।