राधा राधा नाम,
हमको प्राणो से प्यारा है,
राधां राधां नाम,
हमको प्राणो से प्यारा है,
मेरे जीने का सहारा है,
राधां राधां नाम।।
तर्ज – एक तेरा साथ हमको।
राधा राधा गाऊं तो,
मेरे मन के मंदिर में,
पायल छनकाती है,
गेहबरबन की गूंजे,
बरसाने की गलियां,
सपने में आती है,
ब्रजमंडल की रज में,
मुझको मिल जाना दोबारा है,
राधां राधां नाम,
हमको प्राणो से प्यारा है,
मेरे जीने का सहारा है,
राधां राधां नाम।।
कीर्तन ही तपस्या है,
कीर्तन ही समाधि है,
ना पूजा और कोई,
तन मन से मैं उनकी,
और श्री जी है मेरी,
ना दूजा और कोई,
मेरा तो बिन उनके,
एक पल भी ना गुजारा है,
राधां राधां नाम,
हमको प्राणो से प्यारा है,
मेरे जीने का सहारा है,
राधां राधां नाम।।
ये नाम नहीं भैया,
ये स्वयं किशोरी है,
जिसमें कोई भेद नहीं,
हरिदासी तो पगली है,
तुम मानो ना मानो,
कहते सब वेद है,
जरा आँख मूंद कर देख,
तुझको छुएगा मुरली वाला है,
राधां राधां नाम,
हमको प्राणो से प्यारा है,
मेरे जीने का सहारा है,
राधां राधां नाम।।
जब तक है घट में प्राण,
मैं गाती रहूंगी,
आँखों में आंसू लिए,
एक दिन वो आएंगी,
निश्चय ही निभाने,
वादे जो मुझसे किए,
मुझको तो भरोसा है,
तुमने लाखों को तारा है,
राधां राधां नाम,
हमको प्राणो से प्यारा है,
मेरे जीने का सहारा है,
राधां राधां नाम।।
ये नाम परम आधार,
कर देता भव से पार,
मिलाए श्याम से,
दिन रात रटो राधा,
मिट जाए सब बाधा,
राखो रिश्ता नाम से,
फिर बहकर रस की धार,
देखो मिलता नजारा है,
राधां राधां नाम,
हमको प्राणो से प्यारा है,
मेरे जीने का सहारा है,
राधां राधां नाम।।
राधा राधा नाम,
हमको प्राणो से प्यारा है,
राधां राधां नाम,
हमको प्राणो से प्यारा है,
मेरे जीने का सहारा है,
राधां राधां नाम।।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी जी।